इसराइली हमले में यमन के हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनके प्रधानमंत्री अहमद ग़ालिब नासिर अल-रहावी इस हफ्ते की शुरुआत में इसराइली हवाई हमले में मारे गए हैं। हमले की टाइमिंग और टारगेटिंग को लेकर हूतियों ने इसे एक “रणनीतिक हत्या” करार दिया है।

बैठक के दौरान हमला, सीनियर लीडरशिप खत्म

इसराइली सेना के मुताबिक़, राजधानी सना के नजदीक एक गुप्त बैठक चल रही थी, जिसमें रहावी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। लड़ाकू विमानों ने इसी मीटिंग को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें कई प्रमुख मंत्री भी मारे गए।

एक साल पहले बना थे पीएम, असली कमान मुफ़्ताह के पास

रहावी को लगभग एक साल पहले प्रधानमंत्री बनाया गया था, लेकिन राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, सरकार की असली कमान उनके डिप्टी मोहम्मद मुफ़्ताह के हाथों में थी। शनिवार को मुफ़्ताह को आधिकारिक रूप से नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है।

किन-किन मंत्रियों की मौत?

हालांकि हूती पक्ष ने सभी मारे गए मंत्रियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन सऊदी न्यूज़ पोर्टल अल-हदथ की रिपोर्ट के मुताबिक़, हमले में विदेश मंत्री, न्याय मंत्री, युवा एवं खेल मंत्री, सामाजिक मामलों के मंत्री और श्रम मंत्री की भी मौत हुई है।

2014 से जारी गृहयुद्ध का नया मोड़

हूती विद्रोही 2014 से यमन के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर नियंत्रण बनाए हुए हैं। उसी साल इन्होंने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को सना से बाहर निकाल दिया था, जिसके बाद यमन में भीषण गृहयुद्ध शुरू हुआ।

इसराइल क्यों कर रहा है स्ट्राइक?

हाल के महीनों में हूती विद्रोहियों पर आरोप लगे हैं कि वे इसराइल विरोधी हमलों में शामिल हैं, खासकर रेड सी में ड्रोन और मिसाइल हमलों के ज़रिए। यही कारण है कि इसराइल ने अब यमन को भी अपनी स्ट्रेटेजिक हिट लिस्ट में शामिल कर लिया है।

अहमद अल-रहावी की मौत और कई मंत्रियों के मारे जाने से हूती शासन में बड़ा राजनीतिक खालीपन पैदा हो गया है। इस हमले से न सिर्फ यमन की राजनीति में हलचल है, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट की शक्ति-संतुलन को भी चुनौती मिल रही है।

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